Vision

 

Prerana Vidyalaya envisions providing a conducive environment for the development of children under the leadership of teachers and management.

Development of Children means:

  • Self Confidence - Expressing themselves in front of everyone 
  • Respecting Excellence - Willing to identify, learn and understand from people living with excellence
  • Balance in talent and personality - Harmony in one's thinking speaking and doing 
  • Sociable in Behaviror - living in harmony with people of all race, colour, and breed
  • Self-reliant in Livelihood - Inculcating a mindset for working hard and learning varied skills

Prerana Vidyalalya is a place for students with kindling curiosity and will to learn, lead and positively change their surroundings

A conducive environment for children means:

1. A secure environment to feel safe

2. A healthy environment where attention is given to children’s health

3. A caring environment where children can express themselves freely without hesitation

4. A thoughtful environment that nurtures the creativity and intelligence of children

5. An expressive and interactive environment where children become confident in public speaking

6. A friendly environment where children become sociable

Detailed School Vision document 

Vision Document

C:\Users\91887\Desktop\Vision Doc 2023-24.pdf

 

प्रेरणा विद्यालय विद्यार्थियों के विकास के लिए शिक्षकों व् प्रबंधक वर्ग के नेतृत्व में एक अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने की दृष्टि से शुरू किया गया है।  

 

विद्यार्थी के विकास अर्थात:

  • स्वयं में विश्वास - आत्म-विश्वास के साथ सब के सामने व्यक्त होना

  • श्रेष्ठता का सम्मान - अपने से श्रेष्ठ व्यक्ति को पहचानना और उनसे समझना व् सीखना   

  • प्रतिभा और व्यक्तित्व में संतुलन - अपनी समझ और जीने में विकास और सोचने-बोलने-करने में सामंजस्यता

  • व्यवहार में सामाजिक - सभी रंग, जाति, नस्ल व्यक्ति के साथ भावपूर्ण जीना

  • व्यवसाय में स्वावलम्बी - श्रम करने व् हुनर सीखने के लिए मानसिकता बनना

 

विद्यार्थी के लिए एक अनुकूल वातावरण का अर्थ है:

१) एक सुरक्षित वातावरण

२) एक स्वस्थ वातावरण जहाँ बच्चों के शरीर की स्वस्थता पर ध्यान दिया जाये

३) एक स्नेहपूर्ण वातावरण जहाँ बच्चे सहज हो पाएं और बिना भय के अपनी बात कर सकें

४) एक चिंतनशील वातावरण जहाँ बच्चों को बुद्धिमान और सृजनात्मक बनने का अवसर उपलब्ध हो

५) एक अर्थपूर्ण वातावरण जहाँ बच्चों में आत्म-विश्वास बढ़े  

६) एक मिलनसार वातावरण जहाँ बच्चे सामाजिक बने  

 

ऐसे वातावरण को उपलब्ध कराने के लिए निम्नलिखित अभ्यास और गतिविधियां सहायक होंगे:

१) सम्बोधन - शिक्षक विद्यार्थियों को ‘बेटा जी’ कह कर पुकारते हैं, विद्यार्थी एक दूसरे को ‘भाई जी’ - ‘दीदी जी’ कह कर पुकारते हैं और शिक्षक एक दूसरे को भी ‘भैया जी’ - ‘दीदी जी’ कह कर पुकारते हैं

२) ऑडियो-विजुवल क्लास - जहाँ कठिन विषय को वीडियो के द्वारा सरल तरीके से समझाया जाता है

३) पीयर-लर्निंग क्लास  - जहाँ बड़े बच्चे छोटे बच्चों को पढ़ाते हैं ताकि उनमें अच्छे सम्बन्ध बने

४) संगीत, तबला, ड्राइंग, स्टोरी-टेलिंग क्लास - जिससे बच्चों में एकाग्रता और सृजनात्मकता बढे

५) नृत्य, खेल-कूद की क्लास - बच्चों के स्वास्थ्य और अभिव्यक्ति में निखार के लिए  

५) स्पोकन इंग्लिश क्लास - अंग्रेजी भाषा को सहजता से बोल पाए

६) कंप्यूटर क्लास - कंप्यूटर का प्रैक्टिकल उपयोग कर पाए

७) चेतना विकास मूल्य शिक्षा क्लास - बच्चों की जिज्ञासा को उत्तरित कर पाए और उनकी चेतना विकसित कर पाए

८) स्किल कार्यशाला - क्राफ्ट, गार्डनिंग, फिल्म मेकिंग, नाटक, इत्यादि

९) शिक्षा सम्बन्धी कार्यशाला - वैदिक गणित, विज्ञान सम्बंधित प्रयोग - विषय को समझना सरल करने और रुचि-कर बनाने के लिए